श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति https://shivchalisas.com